Friday, February 22, 2019

كلانا يقف عاجزا أمام شيء ما ولد، وينازع من أجل البقاء.

كما ذكرت الوكالة الرسمية قدرة الغواصة على ضم "أكثر من 76 تقنية معاصرة مثل أنظمة السّونار الحديثة والدفع الكهربائي وإدارة الحرب المركبة ومنظومات توجيه الصواريخ من تحت الماء على السطح وتوجيه الطوربيدات وحرب الاتصالات والحرب الالكترونية وأنظمة الاتصالات الموحّدة الآمنة، إضافة إلى عشرات الأنظمة المتطورة الأخرى التي تعزز القدرات الدّفاعية والهجومية للقوات البحرية الاستراتيجية للجيش الإيراني".
وتستطيع حمل مختلف أنواع الصّواريخ ونقل الوحدات البحرية الخاصّة إلى هدفها من أجل تنفيذ المهام المنوطة بها.
وبرزت إيران ضمن الخلافات الأوروبية الأمريكية في مؤتمر ميونيخ الذي انتهى مؤخراً في ألمانيا، وتعتبر الولايات المتحدة إيران "أكبر تهديد للسلام والأمن في الشرق الأوسط، كما تتهمها بتصدير الصواريخ التي تغذي الصراعات في سوريا واليمن وتنادي علانية بتدمير دولة إسرائيل".
لم تعد علاقات الحب تتأثر فقط بضغوط المجتمع، بل وصل تأثير السياسات الخارجية للدول على هذه العلاقات الشخصية.
ففي زمن الصعوبات الاقتصادية، والجري خلف فرص العمل أو الدراسة خارج البلد الأم، يتباعد الشخصان المرتبطان ويمران بتحديات كثيرة تختبر علاقتهما، منها صعوبة الحصول على تأشيرة سفر للزيارة، وأحيانا استحالة الحصول عليها، إلى جانب فرق التوقيت أحيانا الذي يزيد من صعوبة التواصل. كما أن التكنولوجيا قد تخذلهما؛ فخطوط الإنترنت سيئة في بعض الدول، ودول أخرى تحجب عددا من تطبيقات التواصل الاجتماعي. مدونة بي بي سي عربي طلبت من شباب وشابات أن يكتبوا عن علاقات حب عن بعد مروا بها. إيمان خطاب (30 عاما) من مصر كتبت عما مرت به بعد أن التقت شابا في لندن، تزوجا، ثم أصبح كل منهما في بلد.
للإجابة عليها هناك ثلاث خطوات عليّ اتباعها: مراجعة جدول عملي، التحقق كم تبقى من باقة بيانات الإنترنت على هاتفي، والأهم من ذلك إلقاء نظرة سريعة على الساعة لمعرفة فرق التوقيت بيننا.
لم أعلم أن فرق التوقيت قد يتحكم في أمور كثيرة في حياتي قبل هذا اليوم. كصحفية، أنا معتادة على اختيار التوقيت المناسب قبل الاتصال بضيف سأحاوره على الهاتف على سبيل المثال، لكني لم أتخيل أن كل حدث يرتبط بحياتي العاطفية سيكون مرهونا بفرق التوقيت.
اليوم نكمل العام الأول على تعارفنا. قابلته خريف عام 2017، كنت قد انتهيت للتو من إعداد رسالة الماجستير في الصحافة الاقتصادية في جامعة بلندن. وكفتاة قادمة من الشرق، كنت أبحث عن الدفء في هذه البلاد الباردة. كان حبي لكل ما حولي مصدر طاقتي: حبي لكوب قهوة دافئ، ولأوراق شجر متناثرة على مقعد عتيق في إحدى الحدائق، وحتى لسنجاب يقفز مرحا مطاردا حبة بندق.
رحلت عن بلدي مصر لأدرس، ولم أكن على تمام المعرفة هل شاركني قلبي الرحلة أم آثر البقاء، كانت تلك المرة الأولى التي أسافر فيها وحدي دون أهل أو صحبة. لطالما أردت الاستقلال لكني لم أكن أدرك كيف يمكن لهذا الاستقلال أن يكون.
حط رحالي في بلد جديد هو بريطانيا، وبدأت رحلة البحث عن مسكن جديد للقلب والجسد؛ فمثلما كان عقلي يبحث عن استقرار، قلبي كان كذلك. للمرة الأولى يتفق قلبي مع عقلي على شيء، وقد يكون سبب ذلك تجربة عاطفية دامت ثلاث سنوات استنزفت كل ما أملك من طاقة.
اجتمعنا في حفل لمصورين ورسامين من جامعته، وأنا من هواة التصوير. أردت يومها أن أرى ما الجديد في هذا المجال لا أكثر. حدث أكثر مما تصورت. التقينا، تبادلنا الحديث حول شغفنا المشترك، وقبل أن ينصرف كل منا لحاله طلب رقمي. لأول مرة تحمر وجنتاي وأنا أعطي رقمي لهذا الشاب الإيرلندي. تبادلنا الأرقام وانصرفنا.
كل شيء حدث بسرعة لدرجة أن قصتي هذه أصبحت موضع تندر في كل جلسة من جلسات الفتيات، حتى التي أغيب عنها. كان يصلني أن الفتيات كن يقلن "كيف اتخذت قرارا صعبا كهذا في وقت قصير؟"، "هل بالفعل أحبا بعضهما؟"، هل يمكن لبريكست (انفصال بريطانيا عن الاتحاد الأوروبي) أن يغير مسار هذه القصة؟
عدت إلى مصر، واستمر تواصلنا عبر الإنترنت، لكنه رأى أن علاقتنا ستخبو تدريجيا إن ابتعدنا، فقرر أن يأخذ خطوة جدية في علاقتنا. وقبيل أسابيع قليلة من بداية عام 2018، أي بعد نحو ثلاثة أشهر على تعارفنا، عقدنا قراننا.
اتفقنا على الزواج في مصر لأشارك هذه اللحظة مع أهلي وأصدقائي المقربين، ولسوء الحظ لم تتمكن عائلته أن تكون معنا في القاهرة، لأسباب تتعلق بموعد إجازته وغيرها من التعقيدات. خططنا للانتقال لبريطانيا حيث يعمل ويعيش منذ أكثر من 17 عاما، ولكن بعد أسابيع قليلة من زواجنا جاءني عرض عمل في الإمارات.
لم تبدو تلك الخطوة صعبة في بادئ الأمر، بل على العكس تحمسنا لها بعد أن بدت ملامح انتقالي لبريطانيا صعبة وستستغرق مدة طويلة من الاجراءات الروتينية.
تحولت الحياة بيننا لرسائل إلكترونية تلتهم المشاعر والمعاني. كم شجار نشب بيننا لسوء فهم كلمة إذ لم أقصد ما فهمه. أذكر أني فشلت مرة في تحديث إحدى تطبيقات التواصل بيننا (اسمه بوتيم، وهو أحد تطبيقات المكالمات عبر الإنترنت المسموح استخدامها في دولة الإمارات)، وبالتالي لم أتلق رسائله، الأمر الذي ظن فيه محاولة مني تجاهل رسائله فغضب.
يمر عيد أمضيه وحدي، كان من المفترض أن يأتي إلى دبي لكنه لم يتمكن من الحصول على إجازة. وعيد آخر يمضيه وحده لأن إجازتي ألغيت في آخر لحظة.

Thursday, February 7, 2019

तस्वीरः क़ादिर के गांव की मस्जिद

क्योंकि इस शहर ईसाई सबसे बड़ी संख्या में रह रहे थे और ये अफ़वाह फैली कि इलाके में कुरान के पन्नों को अपवित्र किया गया है.
इसके बाद बस्तियों पर भीड़ ने हमला कर दिया और कई घरों में आग लगा दिया. आठ ईसाई ज़िंदा जला दिए गए.
बहुत गंभीर और धीमे आवाज़ में हमज़ा हमलों को याद करते हैं.
वे कहते हैं, "वो एक उदास दिन था. आरोपों में कोई सत्यता नहीं थी, लेकिन भीड़ आक्रोशित थी. अधिकारी जो कह रहे थे, उन पर उनका कोई ध्यान नहीं था और हालात नियंत्रण से बाहर हो गए थे."
पाकिस्तान के सेंटर फ़ॉर सोशल जस्टिस के मुताबिक़ जब से ईशनिंदा के मामलों में मौत की सज़ा का प्रावधान जुड़ा है तबसे ऐसे मामलों की संख्या काफ़ी बढ़ी है.
हमज़ा बताते हैं, "जिस तरह से इस क़ानून का ग़लत इस्तेमाल कमज़ोर लोगों के ख़िलाफ़ हुआ है, उससे मैं खिन्न महसूस करता हूं. धर्म एक तरह से मज़बूत राजनीतिक हथियार बन चुका है, अब ये वरदान नहीं हो कर अब श्राप बन चुका है."
इस क़ानून के आलोचकों का मानना है कि ज़मीनी स्तर पर पवित्र ग्रंथ की बातों को तोड़ मरोड़कर, ईशनिंदा का रोप लगाकर हिंसा होती है.
पाकिस्तान में हज़ारों बच्चे मदरसे या फिर इस्लामिक बोर्डिंग स्कूल (जहां मुफ्त में पढ़ाई होती है और ये सरकारी स्कूलों के विकल्प के तौर पर काम करते हैं) में पढ़ते हैं. कई मदरसों में इस्लामी कट्टरपंथ के बारे में पढ़ाया जाता है, जिसमें ईशनिंदा को लेकर लगातार बातें होती हैं.
इससे ईशनिंदा को लेकर इतना शर्म का भाव होता है कि कुछ लोगों के दिमाग में ये बात धंस जाती है कि वे खुद को नुक़सान पहुंचाने का भी सोचने लगते हैं.
16 साल के क़ादिर (असली नाम नहीं है) एक आम किशोर हैं. वे ओकरा ज़िले के एक छोटे से गांव में रहते हैं. अपनी उम्र के आम बच्चों की तरह वे आम तौर पर अपने पिता की खेती में मदद करते हैं.
पाकिस्तान के ग्रामीण इलाकों में साक्षरता दर बेहद कम होती है, ऐसे में किशोर उम्र के बच्चे और उनके परिवार वाले धार्मिक मामलों में स्थानीय इमाम की बात अंतिम सत्य मानते हैं.
जनवरी, 2016 में क़ादिर एक स्थानीय मस्जिद में नमाज के लिए गए. मौलवी ने लोगों को शांत करने के लिए एक सवाल पूछा, "आप में से कौन मोहम्मद को मानते हैं?"
क़ादिर को झपकी आ रही थी, बाक़ी लोगों ने अपने हाथ खड़े कर लिए.
मौलवी ने भीड़ से फिर कहा, "आप लोगों में से कौन मोहम्मद की बातों को नहीं मानते हैं?"
क़ादिर ने आधी नींद में अनजाने में अपना हाथ उठा दिया, इसके बाद मौलवी ने सार्वजनिक तौर पर ख़ूब डांटा फटकारा और मोहम्मद के अपमान का आरोप क़ादिर पर लगा दिया.
क़ादिर इससे काफी दुखी हुए. जब सब लोग अपने अपने घर चले गए तो क़ादिर मस्जिद के पीछे जाकर बैठ गए, वह खुद को तसल्ली देना चाहते थे.
वो गंभीरता से बताते हैं, "मैं मोहम्मद के प्रति अपने प्रेम को साबित करना चाहता था."
अपनी आस्था साबित करने के लिए क़ादिर को लगा कि उसे खुद अपना हाथ काट लेना चाहिए. इसके बाद उसने घास काटने वाली मशीन के सामने अपना दायां हाथ रख कर खुद से कलाई से हाथ काट लिया.
क़ादिर ने बताया, "दर्द का कोई सवाल ही नहीं था. मैंने अपने पैगंबर से मोहब्बत के लिए ऐसा किया था. मैं उन्हें ये सौंपना चाहता था."
उन्होंने कटे हुए हाथ को एक थाली में रखा, उसे सफेद कपड़े से ढका और मस्जिद पहुंचकर मौलवी से अपनी ग़लती के लिए मुक्ति की मांग की.
अगले कुछ दिनों में आस-पास के गांव और शहरों से लोग आकर क़ादिर को सम्मान देने लगे और पैगंबर के प्रति उसके प्रेम की प्रशंसा करने लगे.
दो साल बाद अब क़ादिर अपना ज़्यादातर समय स्थानीय मदरसे में कुरान पढ़ते हुए बिताते हैं. लेकिन वो कहते हैं कि उन्हें कोई अफ़सोस नहीं है.
वो कहते हैं, "मैं इस बात की परवाह नहीं करता कि लोग क्या कहते हैं. ये मेरे और पैगंबर के बीच की बात है. आप इसे नहीं समझ सकतीं."