Friday, June 21, 2019

وكتب آخر: "الوضع سخيف. هي ليست سيئة ولا تستحق هذه الكراهية"

وترددت مزاعم بأن شركة كمبريدج أناليتيكا تدخلت في انتخابات الرئاسة الأمريكية 2016 لصالح دونالد ترامب، باستغلال قوة "مفتاح أعجبني" في استهداف الناخبين، وهو الأمر الذي أثار الرعب في قلب كوزنسكي، أول باحث رجح إمكانية ذلك.
وماذا عن استغلال المُسوقّين معدومي الضمير لمشاعر المراهقين العاطفية والذين يمكن استهدافهم بسهولة في الترويج لمنتجاتهم وبشكل خاص عندما تتملكهم حالات إحباط ؟
في 2017، ظهرت في أستراليا وثيقة مسربة من فيسبوك توضح إمكانية التأثير على المراهقين بهذه الطريقة.
لكن شركة فيسبوك أبدت دهشتها كالمعتاد مبررة ذلك بأن مشكلة ما ظهرت في آليات "الرقابة". كما شددت الشركة على أنها "لا توفر أية وسائل لاستهداف الناس بالاستناد إلى حالاتهم العاطفية".
دعونا نأمل أن تكون الشركة صادقة في ذلك، إذ اعترفت في وقت سابق بأنها تستغل الأوضاع العاطفية للمستخدمين لكي تختار هل تعرض عليهم أخباراً سارة أو أخباراً محزنة.
و في منشور في ديسمبر/كانون الأول تداوله المستخدمون على نطاق واسع، اعتذرت شيريل ساندبرغ، أحد المدراء في فيسبوك، عن أخطاء ارتكبتها الشركة، قائلة: "قبل عام 2016، لم نكن نركز على دفع الضرر كما نفعل الآن، كما لم نبذل الجهد الكافي لتوقع الطرق التي يمكن من خلالها إساءة استخدام منصتنا".
واعترفت أيضا بأن الكثيرين فقدوا الثقة في أن "تحترم فيسبوك المعلومات الشخصية الخاصة بالمستخدمين وتحميها أو أن تعمل الشركة بالطريقة الصحيحة"، مشددة على أن شركة التواصل الاجتماعي العملاقة دائما ما تستمع للجميع وتتعلم من أخطائها.
لكن الواقع يشير إلى أن احتمال تحكم فيسبوك في العقول أبعد من أن يكون شيئا متقنا.
وتساءل بعض الخبراء الذين نظروا في أزمة كمبريدج إناليتيكا إلى أي مدى كانت هذه الشركة فعالة حقا. ففي كل عمليات الاستهداف أفاد محللون أن مشاهدة إعلانات فيسبوك عبر الضغط عليها لفتحها مازالت بمعدل أقل من واحد في المئة.
وينبغي نقلق حيال كفاءة فيسبوك غير المشكوك فيها في وضع المزيد من الإعلانات التي تستحوذ على قدر كبير من اهتمامنا وتجعلنا ملتصقين بالشاشات.
وكيف سندير التزاماتنا في عالم التواصل الاجتماعي الجديد الجريء؟
ينبغي أن ننمي لدينا نوعا من الذكاء العاطفي بشأن الأثر الذي يحدثه فينا اللوغارتم. وإذا كان نيل الاستحسان الاجتماعي (اعجاب الآخرين) حيويا بالنسبة لنا ولا يقل أهمية من الأكسجين، فربما يكون المزيد من "حب الذات" هو الإجابة الأكثر دقة.
فإذا رأيت أي رسومات كوميكس عن هذا الموضوع سأكون متأكدا من أنني سأضغط على "علامة الإعجاب".
اعتذرت عارضة الأزياء ذات الأصول الفلسطينية، بيلا حديد، بعد أن عبر البعض عن استيائهم بسبب صورة تظهر فيها وقدمها موجهة نحو طائرتين تابعتين لشركتي طيران عربية.
وتظهر في الصورة التي التقطت في أحد المطارات قدم بيلا حديد مرفوعة باتجاه طائرتين، سعودية وإماراتية.
ونشرت عارضة الأزياء، وهي من أب ذي أصول فلسطينية وأم أمريكية هولندية، الصورة على صفحتها على موقع التواصل الاجتماعي إنستغرام.
وعلق أحد متابعيها قائلا "ما فعلته بيلا حديد غير مقبول"، وكتبت إحدى المتابعات "كفتاة سعودية سوف أقي بلدي من أشخاص مثلك".
ونشرت عارضة الأزياء البالغة من العمر 22 عاما اعتذارا باللغتين العربية والإنجليزية.
وقالت في اعتذارها "لن أقبل أبدا أن تُستخدم صفحتي ومنشوراتي للتعبير عن الكراهية تجاه أي أحد، خصوصاً إذا كان الأمر يرتبط بأصولي، وتراثي الجميل، والقوي".
وأضافت قائلة: "أحب من كل قلبي الجانب المسلم والعربي من عائلتي، وكذلك إخواني وأخواتي في جميع أنحاء العالم".
وأكدت أن صورتها لم يكن لها علاقة بالسياسة، وأنها لم تلاحظ الطائرات التي بدت في الخلفية.
وأضافت: "أقدم اعتذاري الصادق والشديد لأولئك الذي اعتقدوا أنني أوجه أي انتقاد لهم، لاسيما من المملكة العربية السعودية والإمارات العربية المتحدة".
وقالت في اعتذار آخر نشرته لاحقا إنها ارتكبت خطأ غير مقصود.
لكن البعض لم يقبلوا اعتذارها، ونشروا الوسم #بيلا حديد عنصرية، للتعبير عن غضبهم.
وكتب أحدهم على تويتر "لا يعنينا إن كنت فعلت ذلك بالخطأ، لكنك مشهورة ويجب أن تكوني أكثر حرصا".
ونشر آخرون صور مستحضرات تجميل ترتبط بها بيلا حديد مثل ديور وكالفن كلاين وقد ألقيت في سلة المهملات، بينما نشر البعض صورا للعارضة وعلى وجهها حذاء.
وفي المقابل، عبر البعض عن تعاطفهم معها، فكتب أحدهم "لا أدري ماذا أفكر حول هذا الموضوع، لكنها اعترفت بأن ما فعلته يعبر عن عدم احترام لشعب بأكمله ، وسواء كان ما فعلته متعمدا أم لا فقد اعتذرت. يجب على الجميع استخدام منصاتهم لنشر المحبة والسلام".

Monday, June 17, 2019

चर्चा में रहे लोगों से बातचीत पर आधारित साप्ताहिक कार्यक्रम

पहली मुलाकात से पड़ने वाली छाप अब भी बहुत मायने रखती है.
क्रेसवेल कहती हैं, "मैंने अपने करियर में सैकड़ों लोगों को काम पर रखा. मुझे यह मानना पड़ेगा कि अवचेतन में कोई पूर्वाग्रह था."
"मैं लोगों को देखती थी और तीन सेकेंड के अंदर यह सोच लेती थी कि उन्होंने जो कपड़े पहन रखे हैं वह उस काम के लिए कितने उचित हैं जिसके लिए वे कोशिश कर रहे हैं."
ब्रांड और इमेज सलाहकार इसाबेल स्पीयरमैन भी मानती हैं कि लोग आपके कपड़ों के आधार पर तुरंत राय बना लेते हैं. उनको लगता है कि महिलाओं को इसका फायदा उठाना चाहिए.
"अगर आप उन कपड़ों को प्यार करते हैं जिनमें आप अच्छे लगते हैं तो आप इनका इस्तेमाल कवच की तरह कर सकते हैं."
मैग्डलीन अब्राहा एक पब्लिशिंग कंपनी में संपादकीय प्रबंधक हैं. 21 साल की उम्र में यूनिवर्सिटी की पढ़ाई पूरी करके उन्होंने सीधे काम शुरू कर दिया था.
वह मानती हैं कि शुरुआत में वह सबकी तरह दिखने के दबाव में रहती थीं.
"यह मान लिया जाता था कि महिलाओं को किस तरह कपड़े पहनने चाहिए. स्मार्ट, फ्लैट जूते, कभी-कभी ऊंची एड़ी के जूते, स्कर्ट, वन-पीस ड्रेस वगैरह. इनमें से कुछ भी मुझे पसंद नहीं."
दो हफ्ते बाद उन्होंने तय किया कि ड्रेस कोड उनके लिए नहीं है. तब से वह अपने आराम के लिए कपड़े पहनने लगीं, जैसे ट्रेनर्स और ट्रैकसूट वगैरह.
अपने हिसाब से कपड़े पहनने पर पुरुष सहकर्मियों की फब्तियां शुरू हो गईं. वह कहती हैं, "एक बार मुझे याद है जब मुझसे कहा गया कि ऐसा लगता है कि मैं पायजामे में ही एक अहम मीटिंग में चली आई हूं."
अब्राहा अब 25 साल की हैं. वह इस निष्कर्ष पर पहुंची हैं कि "अगर मैं अपने कपड़ों में असहज हूं तो मेरे काम पर बुरा असर पड़ेगा." वह इस मुद्दे पर समझौता करने को तैयार नहीं.
अब्राहा का कहना है कि वह अपने अनूठे अंदाज़ को "पावर टूल" की तरह इस्तेमाल करती हैं. "यह मुझे सबसे अलग करता है. इसलिए अगर मैं अच्छा काम करूंगी तो मैं सबको याद रहूंगी."
अगर आप किसी दफ़्तर में काम नहीं करते हैं तो आपको लग सकता है कि आप जो चाहें पहन सकते हैं. मगर यह कहने जितना आसान नहीं होता.
विव ग्रोस्कोप का कहना है कि वह जो मर्जी आए पहन सकती हैं, लेकिन कभी-कभी उनको लगता है कि कोई बताए कि वे क्या पहनें क्योंकि "100 फीसदी आज़ादी भी कुछ हद तक जेल की तरह है."
ग्रोस्कोप कपड़ों के जरिये दूसरों को प्रभावित करने को गैर-मौखिक संचार मानती हैं. वह कहती हैं, "स्त्रीवाद और स्त्रीत्व की अभिव्यक्ति के बीच एक वास्तविक टकराव होता है."
हेलेन मैकार्थी का कहना है कि शैक्षणिक जगत फ़ैशन और इसकी अहमियत के बारे में अलग नज़रिया रखता है.
"थोड़े से अस्त-व्यस्त दिखने पर (यहां) आपकी विश्वसनीयता बढ़ जाती है. अगर आप सजने-संवरने में बहुत ज़्यादा समय लगाते हैं तो आप शंका की नज़र से देखे जाएंगे."
वह कहती हैं, "शिक्षा क्षेत्र में मैंने एक शब्द सुना है ग्लैमर्डेमिक या ग्लैमरस एकैडमिक."
"लेकिन यह समझ से परे है कि यह प्रभावशाली और सशक्त तरीके से आपको सबसे अलग बनाता है कि यह आपकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है."
हर कोई अपने कपड़ों के बारे में इतना नहीं सोचता.
मैकार्थी कहती हैं, "बड़ी संख्या में महिलाएं उन नौकरियों में काम करती हैं जहां व्यक्तिगत अभिव्यक्ति या अपने व्यक्तित्व पर जोर देने लायक कुछ नहीं है."
"अक्सर वे पार्ट-टाइम काम करती हैं, बहुत कम पैसे पर अथक शारीरिक परिश्रम करती हैं. उनके लिए क्या पहनना है यह कोई समस्या नहीं है."
इसमें कोई संदेह नहीं कि फ़ैशन और स्वतंत्रता की राजनीति ने कई नारीवादी लड़ाइयों को जन्म दिया है.
मैकार्थी कहती हैं, "आप यह तर्क दे सकते हैं कि कपड़ों के बारे में सोचने पर हम जितना समय ख़र्च करते हैं और कपड़े खरीदने पर हम जितने पैसे ख़र्च करते हैं, उस समय और पैसे से हम पितृसत्ता के ख़िलाफ़ लड़ सकते हैं."
"लेकिन अगर हमें पितृसत्ता से लड़ना है तो उस लड़ाई में हमारी पोशाक ही तो हमारा कवच होगी."